स्कूल जतन योजना के तहत रायगढ़ जिले को 100 करोड़ रुपए का बजट मिला था. इसमें बदहाल स्कूल के नए भवन, कमरों की मरम्मत, बाथरूम और रंगाई-पोताई समेत अन्य मूलभूत सुविधाएं देनी थी. लेकिन विडंबना है कि स्कूलों का निर्माण तो छोड़िए.. ज्यादातर स्कूलों का मरम्मत भी नहीं हुआ है. ऐसे मे अब भी ज्यादातर जर्जर स्कूलों मे कक्षा लग रही है.
– वित्त मंत्री के जिले मे सरकारी स्कूलों की सुध नहीं ली जा रही है. जिसके चलते आज भी बच्चे जर्जर भवन मे बैठने को मजबूर हैं. इससे पहले कि हम आपको आगे की खबर बताएं.. आपको हम रायगढ़ के बजरंग पारा स्थित जर्जर स्कूल मे ले चलते हैं. सबसे पहले आप यहां के प्राथमिक स्कूल को देखिये… ये स्कूल सालों से जर्जर है. भवन की ईमारत इतनी पुरानी और जर्जर हो गई है कि स्कूल प्रबंधन ने अब यहां बच्चों को बिठाना बंद कर दिया है. ऐसे मे अब प्राथमिक स्कूल के बच्चों को मिडिल स्कूल के भवन मे बिठाना पड़ रहा है. सुबह की पाली मे प्राथमिक स्कूल के बच्चे बैठते हैं.. जबकि दोपहर की पाली मे मिडिल क्लास के बच्चों की कक्षा लगती है. और तो और.. इस स्कूल मे टॉयलेट भी नहीं है. जिससे बच्चों के साथ स्कूल के शिक्षको को भी परेशान होना पड़ता है. ये स्कूल एक नमूना है.. जबकि जिले मे ऐसे कई स्कूल संचालित हो रहे हैं. जहाँ बच्चों को जर्जर स्कूलों मे बैठकर पढना पड़ रहा है. बता दें जिले में 106 हाईस्कूल और 266 हायर सेकंडरी स्कूल है. इसमें 100 से अधिक सरकारी स्कूल के भवन बदहाल हैं. 19 स्कूलों में अतिरिक्त कक्षाओं के साथ प्रयोगशाला, लाइब्रेरी जैसे अतिरिक्त कमरों के लिए एक साल पहले बजट मिला था.. लेकिन अभी तक स्कूलों का निर्माण और मरम्मत कार्य पूरा नहीं हो सका है.
सरकारी स्कूलों की हालत सुधारने मे राज्य सरकार जोर तो लगा रही है.. मगर इस प्रयास का कोई विशेष लाभ धरातल मे नहीं देखा जा रहा है. यही वज़ह है कि स्कूलों की हालत अब भी जस की तस बनी है. जिसपर प्रशासन की नज़र भी नहीं पड़ रही है.