ओपीजेयू में ‘सस्टेनेबल पावर एन्ड एनर्जी’ विषय पर प्रथम दो-दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न
( 28 -29 नवम्बर 2024 के दौरान ‘सस्टेनेबल पावर एन्ड एनर्जी’ विषय पर IEEE प्रायोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में देश-विदेश के प्रबुद्ध विद्वानो ने किया मंथन )
रायगढ़, 29 नवम्बर 2024
ओ.पी. जिंदल विश्वविद्यालय, रायगढ़ के स्कूल ऑफ़ इंजीनियरिंग के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा ‘सस्टेनेबल पावर एन्ड एनर्जी’ विषय पर दो-दिवसीय प्रथम अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन 28 -29 नवम्बर 2024 के दौरान किया गया। सम्मलेन का आयोजन जिंदल सेंटर रायगढ़ एवं ओ.पी. जिंदल विश्वविद्यालय के पूंजीपथरा परिसर में हाइब्रिड मोड में सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। दो-दिवसीय इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्देश्य ‘सस्टेनेबल पावर एन्ड एनर्जी’ सम्बंधित दुनिया भर के अग्रणी विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और पेशेवरों को एक साथ लाकर स्थिरता, बिजली, ऊर्जा, कार्बन फुटप्रिंट, माइक्रोग्रिड, कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अनुप्रयोग और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स और पावर सिस्टम में मशीन लर्निंग आदि प्रमुख मुद्दों पर परिचर्चा करना; एवं नवाचारों के साथ-साथ सतत विकास की व्यावहारिक चुनौतियों का सामना करने अपनाए जाने वाले समाधानों को प्रस्तुत करने और चर्चा करने के लिए एक प्रमुख अंतःविषय मंच प्रदान करना था। इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मलेन में अकादमिक और उद्योगों के विशिष्ट वक्तागणों ने ‘सस्टेनेबल पावर एन्ड एनर्जी’ से संबंधित सभी प्रमुख क्षेत्रों में अपने विचार प्रस्तुत किये, साथ ही साथ शोधार्थियों ने अपने शोधपत्र प्रस्तुत किये।
सम्मेलन का उद्घाटन, 28 नवम्बर को मुख्य अतिथि डॉ अशोक कुमार त्रिपाठी (पूर्व डायरेक्टर जनरल-CPRI एवं निदेशक-SIT भुबनेश्वर ) , विशिष्ट अतिथि डॉ के. बी. मोहंती (विभागाध्यक्ष और प्रोफेसर, एनआईटी राउरकेला), डॉ सुभोजित घोष (प्रोफेसर, एनआईटी रायपुर), श्री सब्यसाची बंदोपाध्याय (कार्यकारी निदेशक, जेएसपी रायगढ़), डॉ आर. डी. पाटीदार, कुलपति, ओ.पी. जिंदल विश्वविद्यालय एवं कुलसचिव डॉ अनुराग विजयवर्गीय तथा अन्य गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति मे हुआ। जिंदल सेंटर, रायगढ़ में आयोजित उद्घाटन समारोह के आरम्भ में ओपीजेयू के कुलपति डॉ आर. डी. पाटीदार, ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और अपने सम्बोधन में सम्मेलन की आवश्यकता एवं उपयोगिता के बारे मे जानकारी दी। सम्मलेन के उद्देश्यों के बारे में डॉ पाटीदार ने कहा की सस्टेनेबल पावर और एनर्जी का महत्त्व आज के समय में बहुत बढ़ गया है, क्योंकि यह पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने, ऊर्जा संसाधनों का दीर्घकालिक उपयोग, और मानवता के समग्र कल्याण के लिए आवश्यक है। सस्टेनेबल ऊर्जा के उपयोग से भविष्य में ऊर्जा संकट से बचा जा सकता है, क्योंकि ये स्रोत निरंतर उपलब्ध रहते हैं। इसके द्वारा ऊर्जा आपूर्ति का संकट दूर होता है, जो कि विकासशील देशों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। डॉ पाटीदार ने इस अवसर पर ओ.पी. जिंदल विश्वविद्यालय, रायगढ़ के बारे में भी बताया और बहुत कम समय मे ओपीजेयू द्वारा प्राप्त उपलब्धियों से सभी को अवगत कराया। उन्होंने इस दौरान ओपीजेयू के विज़न के साथ-साथ , विश्वविद्यालय द्वारा न केवल इसके परिसर बल्कि गोद ग्रामों में भी सस्टेनेबल ऊर्जा से सम्बंधित किये जा रहे प्रयासों के बारे में विस्तृत रूप से बताया। इस अवसर पर डॉ पाटीदार ने सतत मार्गदर्शन, सहयोग एवं उत्साहवर्धन के लिए चेयरमैन-जेएसपी श्री नवीन जिंदल जी एवं ओ. पी. जिंदल विश्वविद्यालय की चांसलर श्रीमती शालू जिंदल जी के प्रति कृतज्ञता भी व्यक्त किया। उनके पश्चात विशिष्ट अतिथि डॉ के. बी. मोहंती (विभागाध्यक्ष और प्रोफेसर, एनआईटी राउरकेला), डॉ सुभोजित घोष (प्रोफेसर, एनआईटी रायपुर), श्री सब्यसाची बंदोपाध्याय (कार्यकारी निदेशक, जेएसपी रायगढ़) ने अपने सम्बोधन में ओ. पी. जिंदल विश्वविद्यालय एवं आयोजकों को ज्वलंत एवं सामयिक विषय में संगोष्ठी आयोजित करने के लिए बधाई दिया, और सम्बोधन में कांफ्रेंस की थीम एवं उससे सम्बंधित प्रमुख मुद्दों और सतत विकास के बारे में अपने विचार सभी के साथ साझा किया। सम्मलेन के मुख्य अतिथि डॉ अशोक कुमार त्रिपाठी ने अपने उद्बोधन में कहा की पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों से होने वाला प्रदूषण न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है, बल्कि यह मानव स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। सस्टेनेबल पावर और एनर्जी का महत्त्व इसलिए है क्योंकि यह हमें एक स्वच्छ, सुरक्षित, और आर्थिक रूप से स्थिर भविष्य प्रदान करता है। यह पर्यावरण, समाज, और अर्थव्यवस्था के सभी पहलुओं पर सकारात्मक प्रभाव डालता है और भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी ऊर्जा संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करता है। उन्होंने सम्मेलन में भाग लेने वाले सभी शोधकर्ताओं और विद्वानों से अपील करते हुए कहा की हम सभी को मिलकर सस्टेनेबल पावर और एनर्जी के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और इस दिशा में कदम बढ़ाना होगा। केवल सरकार और उद्योग ही नहीं, बल्कि हर एक नागरिक का योगदान इस लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण है। इस दिशा में काम करने की अपील सभी नागरिकों, सरकारों, उद्योगों और संस्थाओं से है, ताकि हम एक स्थायी और हरा-भरा भविष्य सुनिश्चित कर सकें। समारोह के अंत में सम्मलेन के संयोजक डॉ संदीप ने अन्य सभी गणमान्य अतिथियों, प्रतिभागियों एवं सहयोगियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।
सम्मेलन में दो दिनों के दौरान कीनोट सम्बोधनों के साथ-साथ विषयगत ट्रैक के अंतर्गत तकनिकी सत्रों में लगभग 80 शोध पत्र प्रस्तुत किये गए। इस सम्मलेन में भारत सहित दस से अधिक देशों के शोधकर्ताओं, संकाय सदस्यों, छात्रों और उद्योग विशेषज्ञों एवं प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सम्मलेन में प्रस्तुतीकरण के लिए 263 शोध सारांश प्राप्त हुए थे जिनमे से लगभग 100 शोध सारांशों को उनकी गुणवत्ता एवं मौलिकता के आधार पर तकनीकी कमेटी द्वारा चयनित किया गया था।
29 नवम्बर को समापन समारोह मुख्य अतिथि डॉ. अलमोताज़ यूसुफ अब्देलअज़ीज़ (प्रोफ़ेसर, ऐन शम्स यूनिवर्सिटी एवं फ़्यूचर यूनिवर्सिटी, मिस्र), डॉ. शैलेन्द्र कुमार शर्मा (प्रोफ़ेसर, एसजीएसआईटीएस इंदौर) और आईईईई एमपी अनुभाग के उपाध्यक्ष श्री मन्मथ बडापंडा की गरिमामयी उपस्थिति में हुआ। इस दौरान सम्मलेन का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया और बेस्ट पेपर सम्मान प्रदान किये गए। इस सम्मलेन में स्कूल ऑफ़ इंजीनियरिंग के विद्यार्थी , प्रतिभागी, ओ.पी. जिंदल विश्वविद्यालय के सभी प्राध्यापक, स्टाफ एवं छात्र उपस्थित रहे।
ज्ञातव्य हो कि रायगढ़ के पुंजिपथरा स्थित ओपी जिंदल विश्वविद्यालय की स्थापना 2014 में (राज्य बिल अधिनियम 13) देश के प्रतिष्ठित औद्योगिक समूह – जिंदल ग्रुप द्वारा देश और विदेश के छात्रों को विश्व स्तरीय शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी। विश्वविद्यालय विश्वस्तर के पाठ्यक्रम, विश्वस्तरीय शिक्षक, आधुनिक शिक्षण विधियाँ, अत्याधुनिक बुनियादी ढाँचे और शिक्षार्थियों को एक जीवंत परिसर प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित यह विश्वविद्यालय इस्पात प्रौद्योगिकी और प्रबंधन का सबसे विशिष्ट और विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय बनने की ओर अग्रसर है। हाल ही में विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय मूल्याङ्कन एवं प्रत्यायन परिषद् द्वारा NAAC “A” ग्रेड प्रदान किया गया है, जो की विश्वविद्यालय की अकादमिक एवं प्रशासनिक उत्कृष्टता को रेखांकित करता है।