Sarangarh News: सारंगढ़ बिलाईगढ. सारंगढ़ वन मंडल में अब हाथियों की दस्तक शुरू हो चुकी है। पिछले कुछ सालों से सामान्य के साथ ही अभ्यारण्य क्षेत्र में भी हाथियों की चहल कदमी देखी गई है। भले ही साल भर हाथी नहीं रहते, लेकिन जब इसकी मौजूदगी होती है तो ग्रामीणों में एक भय निर्मित जरूर हो जाता है। ऐसे में वन विभाग ने हाथियों से बचाव के लिए नया कदम उठाया है। ओडीके कलेक्ट एंड एनिमल ट्रेकर सीजी एप की जानकारी देते हुए सारंगढ़ वन मंडल में एक प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। जिसमें कई तरह की जानकारी वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारी और हाथी मित्र दल को दी गई।
सारंगढ़ वन मंडल में एक प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। जिसमें ओडीके कलेक्ट एंड एनिमल ट्रेकर सीजी एप की जानकारी देते हुए बताया गया कि इस मोबाईल एप के माध्यम से हाथियों का किसी गांव के करीब दस किमी पहुंचने से पहले उनके लोकेशन की जानकारी मिल जाएगी, जो सीधे संबंधित वनकर्मियों के अलावा क्षेत्र के जनप्रतिनिधि, हाथी मित्र दल को एसएमएस आएगा। इससे ग्रामीण भी अलर्ट हो जाएंगे और किसी प्रकार की जन, धन हानी नहीं होगी। सारंगढ़ बिलाईगढ़ वन मंडल डीएफओ गणेश यू आर के निर्देश पर विभागीय टीम के साथ प्रशिक्षण बैठक कर जानकारी साक्षा किया गया। जिसमें यह भी बताया गया कि जंगल में विचरण करने वाले हाथियों के झुंड को रोकने के लिए अब वन विभाग मोबाइल टेक्नॉलाजी का स्तेमाल करने जा रही है।
इसके लिए वन विभाग की टीम मोबाइल एप के माध्यम से हाथियों की हर गतिविधियों पर नजर रखेगी। साथ ही गांव के 10 किलोमीटर के दायरे में पहुंचने से पहले ही ग्रामीणों को मोबाइल कालिंग व एलर्ट मैसेज के माध्यम से उन्हें सावधान कर दिया जाएगा। ऐसे में लगातार बढ़ते हाथियों का उत्पात को रोकने के लिए वन विभाग द्वारा तरह-तरह के उपाय कर रहा है उसी कड़ी में मोबाइल ट्रेकिंग की सुविधा मिल के पत्थर साबित होगा। उक्त प्रशिक्षण में सारंगढ़ बिलाईगढ़ वन मंडल के डीएफओ गणेश यू आर के निर्देश एवं उप वन मंडलाधिकारी श्रीमती अमिता गुप्ता एवं अधीक्षक गोमर्डा अभ्यारण्य कृश्णा चंद्राकर के नेतृत्व में आयोजित किया गया। जिसमें वन परिक्षेत्राधिकारी बरमकेला गोमर्डा अजय सुरेंद्र, वन परिक्षेत्राधिकारी सांरगढ़ गोमर्डा राजू सिदार, सेवक राम बैगा के साथ ही वनमंडल के अलग अलग रेंज के डिप्टी रेंजर एवं परिसर रक्षक उपस्थित थे।
पूर्व में हुआ था नुकसान
सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिला चारो तरफ से घने जंगलों से घिरा हुआ है। जहां पिछले कुछ सालों से हाथियों की चहल कदमी देखी जा रही है। बात पिछले वर्षों की करे तो हाथियों के झुंड से बिछड़कर एक हाथी और नन्हा शावक भटककर ग्रामीण इलाकों में आं पहुंचे थे। जिसने खूब उत्पात भी मचाया था और धन हानि के साथ जनहानि का भी नुकसान उठाना पड़ा था।
ऐसे काम करेगा एप
वन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक ओडीके माइल ऐप ओपन डाटा किट इस मोबाइल एप के माध्यम से ग्रामीणों के सकारात्मक सहयोग से हाथियों को निरंतर ट्रैक किया जाएगा। जिस क्षेत्र में हाथियों की मौजूदगी होगी। वहां वन विभाग की टीम मौके पर- पहुंचेगी और हाथी का जीपीएस से लोकेशन ट्रेस कर उस डाटा को मोबाइल पर डाला जाएगा और जिसके उपरांत एसओएस अर्लट सिस्टम तथा कॉलिंग एण्ड एसएमएस अर्लट के माध्यम से हाथियों के उपस्थिति की सूचना दी जाएगी। बताया जाता है कि इस ऐप को जल्द ही शुरु किया जाएगा और इस ऐप में हाथी प्रभावित क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों का नंबर भी जोड़ा जाएगा। जैसे ही हाथी उनके गांव के 10 किलोमीटर के दायरे में पहुंचेगा। इसकी जानकारी तुरंत क्षेत्र के ग्रामीणों को कालिंग व एसएमएस के माध्यम से मिल जाएगी।
वर्सन
ओडीके कलेक्ट एंड एनिमल ट्रेकर सीजी एप के माध्यम से हाथियों पर निगरानी रखी जाएगी। ग्रामीणों को इस एप के जरिए हाथी के गांव के करीब पहुंचने से पहले एसएमएस व अन्य माध्यम से जानकारी मिल जाएगी। हाथी से बचाव के लिए यह एप काफी कारगर साबित होगा। प्रशिक्षण का आयोजन कर इसकी विस्तृत जानकारी दी गई है।
गणेश यू आर
वन मंडलाधिकारी, सारंगढ़ बिलाईगढ़