रायगढ़ विधायक और छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ने चुनाव से पहले युवाओं से वादा किया था… कि रायगढ़ मे रायपुर की तर्ज पर एक नालंदा परिसर बनेगा. चुनाव जीतने के बाद उन्होंने इसके लिए प्रयास भी किया. अधिकारी वर्ग को उन्होंने आदेश देकर नालंदा परिसर बनाने के लिए कहा भी… मगर बात जमीन मे आकर रुक गई. असल मे नगर निगम आजतक नालंदा परिसर के लिए जमीन नहीं ढूंढ सका. और तो और.. नगर निगम की एमआईसी ने शुक्रवार को बैठक मे इस प्रस्ताव को आगे की बैठक के लिए टाल दिया. नालंदा परिसर को लेकर नगर निगम के लापरवाह रवैये से विपक्ष आक्रोश मे है. विपक्ष का कहना है कि ज़ब प्रदेश मे कांग्रेस की सरकार थी.. तब सरकारी जमीनो को बेचने का काम किया गया. हर रोज सुबह अधिकारी वार्डों का दौरा करने के बहाने सरकारी जमीन देखते थे. इसके बाद उस जमीन की बोली लगती थी. इससे कांग्रेस का खजाना भर गया. अब स्थिति ये है कि शहर मे सरकारी जमीनो का अभाव है. यही वज़ह है कि शहर मे नालंदा परिसर का काम लटक रहा है.
इस मामले मे कांग्रेस का कहना है कि शहर मे जमीन की तलाश जारी है. शुक्रवार को ज़ब एमआईसी की बैठक हुई तब तकजमीन नहीं मिला था. यही वजह रही कि नालंदा परिसर का प्रस्ताव फिलहाल अगली बैठक के लिए टाला गया है. अगली बैठक मे यह प्रस्ताव पास होगा.
रायगढ़ मे नालंदा परिसर बनना इसलिये भी जरूरी है.. क्योंकि आने वाले समय मे रायगढ़ एजुकेशन हब के रूप मे विकसित होगा. यूनिवर्सिटी खुलने के बाद रायगढ़ मे छात्रों की संख्या बढ़ गई है. इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के नए शैक्षणिक संस्थान भी खुल रहे हैं. साथ ही पिछले कुछ सालों के भीतर प्रतियोगी परीक्षा देने वाले छात्रों की संख्या भी बढ़ गई है. इन छात्रों के लिए नालंदा परिसर किसी वरदान से कम नहीं होगी. लेकिन नगर निगम की लापरवाही के कारण नालंदा परिसर बनने के लिए लम्बा इंतजार करना पड़ सकता है.