सीसीटीवी लगाने का प्रस्ताव कई बार शासन को भेजने के बाद भी सरकार ने फंड नहीं दी. ईधर शिनाख्ती के अभाव मे कई मामलो मे पुलिस सफल नहीं हो पा रही है. चक्रधर नगर इलाके मे हुई गहनो के लूट के मामले मे भी शिनाख्ती नहीं हुई है. जबकि दो महीने पहले ढिमरापुर इलाके मे चोरीकांड से भी पर्दा नहीं उठा है.
रायगढ़ मे सुरक्षा व्यवस्था को लेकर शहर के सभी प्रमुख चौक चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे. इसका मुख्य उद्देश्य ये था कि आए दिन होने वाले अपराध के अलावा यातायात नियमों का पालन गंभीरता से कराया जा सके. लेकिन देखरेख के अभाव में एक-एक कर लगभग सभी कैमरे खराब हो गए. समय रहते पुलिस प्रशासन ने इस पर ध्यान ही नहीं दिया था. हालांकि इसके लिए पुलिस प्रशासन ने शासन से पत्राचार जरूर किया था. तब ये कहा जा रहा था कि सीएसआर फंड से कैमरे लगेंगे. मगर सीएसआर की राशि नहीं मिली. और अब तो स्थिति ये है कि शहर के सभी कैमरे खराब हैं.. जिसका फायदा आजकल चोर गिरोह उठा रहे हैं. सोमवार की रात चक्रधर नगर मे गहनो की लूट हुई. जो दुकान की सीसीटीवी मे कैद हैं. मगर इसके बाद वे किस तरफ गए.. इसका कोई फुटेज नहीं मिला है. अगर चौक चौराहे के कैमरे सही रहते तब शायद चोर गिरोह की पहचान होती.. या फिर उनकी गाड़ी का नंबर सामने आता.. जिससे पुलिस को ट्रेस करने मे आसानी होती. ये कोई पहला मामला भी नहीं है. दो महीने पहले ढिमरापुर इलाके मे भी एक चोरी का खुलासा पुलिस नहीं कर पाई है. जबकि सुभाष चौक के कपड़ा दुकान की चोरी भी करीब 6 महीने बाद भी उजागर नहीं हुई है. इन सबका कारण सीसीटीवी कैमरा ही है. अगर शहर की तीसरी आंख खराब नहीं रहती तो शायद सभी गिरोहो का पर्दाफाश हो पाता.
शहर के सभी चौराहो मे सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे. कैमरा लगाने का काम करीब 5 साल पहले शुरू हुआ था. कैमरा लगने के बाद शहर मे तीसरी आँख से निगरानी हो रही थी. लेकिन देखरेख के अभाव मे लगभग सभी कैमरे खराब हो गए थे. जिससे पुलिस को अपराधियों की धरपकड़ मे परेशानी होती है. अपराध के बाद पुलिस को निजी कैमरो की मदद लेनी पड़ती है. जबकि शहर मे कैमरे लगाने का प्रस्ताव हाशिये मे चला गया है.
